क्या डायबिटीज़ में पैर काटने का ख़तरा
बना रहता है?
इससे कैसे बचा जा सकता है?
डायबिटीज़ में पैर काटने का ख़तरा केवल और केवल मरीज़ और उसके घर वालों की लापरवाही के कारण पैदा होता है.
जैसे दिल के रोग में मरीज़ को किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए, वैसे ही डायबिटीज़ के रोग में भी 100% सावधानी बरतने की ज़रूरत है.
ये तो सब जानते हैं कि डायबिटीज़ के रोग में मरीज़ के शरीर में शुगर का लेवल बढ़ता-घटता रहता है. और बढ़ा हुआ शुगर मरीज़ को तरह तरह से तकलीफ़ देता है.
शुगर की अधिकता से किडनी फ़ेल होने की भी संभावना बनी रहती है. आंखों में अंधापन आ सकता है, ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, डायबिटिक न्यरोपेथी (Diabetic neuropathy) की शिकायत हो जाती है और हद से ज़्यादा शुगर बढ़ जाए तो मरीज़ कोमा की स्थिति में भी जा सकता है.
डायबिटिक न्यरोपेथी की वजह से फ़ुट अल्सर (Foot Ulcer) होने की संभावना बढ़ जाती है. और यही फ़ुट अल्सर ज़िंदगी दूभर कर देता है.
असल में डायबिटिक न्योरोपेथी (Diabetic neuropathy) के कारण मरीज़ के पैर सुन्न हो जाते हैं और उसे दर्द का एहसास नहीं होता. इसलिए जब भी मरीज़ के पैरों में कोई कट या घाव होता है, तो उसे पता ही नहीं चलता. फिर ये पैर का घाव बिना इलाज के बढ़ के गैंग्रीन का रूप ले लेता है. इनफ़ेक्शन इतना बढ़ जाता है कि फिर वो पूरे पैर को घेर लेता है. यहां तक कि ये इनफ़ेक्शन शरीर के अन्य भागों तक पहुंच जाता है. एहसास न होने के कारण हल्की सी चोट या घाव भी बढ़ कर भयावह रूप लेता है.
जब भी मरीज़ के पैरों में किसी कारण हल्का सा घाव होता है तो उसे पता नहीं चलता और न ही किसी दर्द का एहसास होता है. मरीज़ उस घाव का इलाज नहीं करता, क्योंकि उसे कोई तकलीफ़ नहीं होती है.
इसलिए धीरे धीरे ये घाव फ़ुट अल्सर (Foot Ulcer) का रूप ले लेता है, जिसका इलाज बेहद मुश्किल हो जाता है. यही कारण है कि मरीज़ के पैर को काटने की नौबत आ जाती है.
ऐसी परिस्थिति से बचने के लिए बस कुछ ही सावधानियां बरतने का ज़रूरत है.
जिन्हें अपना कर डायबिटीज़ के मरीज़ फ़ुट अल्सर से बच सकते हैं.
1. हमेशा ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखें.
2. हर वक़्त पैरों की जांच करते रहें, उन्हें हरदम साफ़-सुथरा, ड्राई रखें. हल्के गुनगुने पानी से पैरों को धोएं. गर्म पानी कभी न इस्तेमाल करें. सही नाप वाले आरामदेह जूते चप्पल पहनें. नंगे पैर न चलें. हमेशा जांच करें कि पैर के तलवे में या आसपास कहीं कोई घाव, खरोंच या कट तो नहीं है, जिसका एहसास मरीज़ को ही नहीं रहा है.
3. कोई घाव, कटने की निशानी, कोई फोड़ी फुंसी नज़र आए तो फ़ौरन उसका इलाज करवाएं.
4. सही इलाज आप घर पर नहीं कर सकते. इसके लिए आपको डॉक्टर की मदद अवश्य ही लेनी पड़ेगी. जितनी जल्द आप डॉक्टर से मिलेंगे, उतना ज़्यादा फ़ायदा होगा.
तो घबराएं नहीं, बस अपनाएं थोड़ी सी सावधानी, थोड़ी सी सतर्कता !