ये लगभग 66 साल पहले की बात है जब जुलाई 1954 को किसी दिन एक अनजान व्यक्ति ने जापान के शहर टोक्यो में क़दम रखा था.
वो एक रहस्यमयी व्यक्ति था. पहली बार उसे जापान के हेनेडा एयरपोर्ट में देखा गया था.
वो प्लेन से उतरा और शहर में प्रवेश करने से पहले कायदे के अनुसार एयरपोर्ट के अधिकारियों ने उससे उसके पेपर्स और पासपोर्ट मांगे. उसने अपना पासपोर्ट दिया जो टॉरेड नाम के एक देश का था. पासपोर्ट देख कर अधिकारी चौंक गए. क्योंकि वहां पर कोई भी अफ़सर टॉरेड नाम के देश से वाकिफ़ नहीं था. इस तरह का पासपोर्ट भी उन्होंने पहली बार देखा था.
उन्होंने उस व्यक्ति से पूछा कि ये कौनसा देश है और क्या आप इसी देश के नागरिक हैं?
तो उसने हाँ में जवाब दिया.
अधिकारी उस देश टॉरेड के बारे में जानकारी जुटाने लगे. मगर उन्हें कहीं भी इस देश का अतापता नहीं मिला. फिर अधिकारियों ने उस व्यक्ति से कहा कि वो विश्व के मैप / नक्शे में दिखाए कि उसका देश कहां है?
उस व्यक्ति ने मैप पर एक जगह उंगली रख दी और कहा, ये मेरा देश है, लेकिन फिर वो भी चौंक गया और कहने लगा कि उसके देश का नाम किसने बदला है? क्योंकि उसने जिस देश पर अपनी उंगली रखी थी, वो देश था अंडोरा (Andorra), जो कि स्पेन और फ्रांस के बीच एक छोटा सा देश है. उसने कहा यही मेरा देश है, मगर इसका नाम अंडोरा नहीं, टॉरेड है.
अधिकारियों को उस संदेहास्पद व्यक्ति की बातों पर बिलकुल भी यक़ीन नहीं आया और फिर उन्होंने उसके दूसरे दस्तावेज़ जैसे ड्राइविंग लायसेंस वग़ैरह भी देखे, जो बिलकुल असली और ऑफ़िशियल लग रहे थे. पासपोर्ट भी बिलकुल सरकारी लग रहा था. अधिकारियों ने पुलिस को बुला लिया. तब वो व्यक्ति बहुत क्रोधित हो गया और कहने लगा कि अगर आप लोगों को मेरे देश के बारे में कुछ नहीं मालूम तो उसका मतलब ये नहीं है कि मेरा कोई देश ही नहीं है…. मैं इसके पहले भी आपके देश जापान आ चुका हूं, तब तो मुझे ऐसी परेशानी नहीं हुई. अपने बात की पुष्टि करने के लिए उसने कुछ पुराने पेपर्स उन्हें दिखाए जो ये दर्शाते थे कि ये व्यक्ति पहले भी जापान आ चुका है और यहां कई दिन रह चुका है.
अधिकारी अब बहुत परेशान हो गए. वो उसके साथ मुजरिमों जैसा व्यवहार नहीं कर सकते थे. क्योंकि वो बिलकुल सही आदमी लग रहा था. फिर उन्होंने उस व्यक्ति से पूछा कि आप जिन लोगों से मिलने आए हैं, उनका पता दीजिए. उसने दे दिया, जो कि एक कंपनी का था और उसके पास उनसे मिलने का लेटर भी था. पर जब उस कंपनी से संपर्क किया गया तो उन्होंने इस व्यक्ति को पहचानने से इंकार कर दिया.
आख़िर तय हुआ कि उसे चौबीस घंटे के लिए निगरानी में रखा जाए. इसलिए पुलिस बड़ी इज़्जत के साथ उसे एक नज़दीकी होटल में ले गई और उसे वहां ठहराया और कहा कि जब तक हमारी तफ़तीश पूरी नहीं होती, आपको यहीं रहना होगा.
उसे होटल के एक कमरे में नज़रबंद कर दिया गया. सारी खिड़कियों को सील कर दिया गया और दरवाज़े पर पुलिस का पहरा लगा दिया गया.
अगले दिन जब पुलिस कुछ पूछताछ करने के लिए इस व्यक्ति से मिलने आई और कमरे का दरवाज़ा खटखटाया तो उसने दरवाज़ा नहीं खोला. तब पुलिस ने मास्टर की से दरवाज़ा खोला और अंदर गई. पर वो व्यक्ति अंदर मौजूद नहीं था. सारी खिड़कियां भी ज्यों की त्यों सील्ड थी. पुलिस वाले चकरा गए और सारा शहर छान मारा मगर उसका पता नहीं चला.
और आज भी इस रहस्य पर यूं ही परदा पड़ा हुआ है कि आख़िर वो व्यक्ति कौन था और फिर अचानक ऐसे किस तरह ग़ायब हो गया.
ये कहानी बरसों से लोग एक दूसरे को कहते आ रहे है. इंटरनेट पर भी ये कहानी मौजूद है. इस पर एक किताब भी लिखी जा चुकी है. एक शॉर्ट फ़िल्म और डॉक्युमेंट्री भी इस पर बन चुकी है. लेकिन इसमें सच्चाई कितनी है इस पर अलग अलग लोगों की अलग अलग राय है. और ये हमेशा से होता आ रहा है कि किसी भी नई बात को सारे लोग एक साथ कभी स्वीकार नहीं करते. कुछ लोग इसे सच मानते हैं और कुछ झूठ. लेकिन किसी के पास सही तर्क नहीं होता.
जापानी हुकूमत भी इस कहानी के सच होने का सिरे से इंकार करती है. और उसकी वजह ये है कि जब वो व्यक्ति ग़ायब हुआ तो उसके साथ ही उसके सारे दस्तावेज़ और पेपर्स भी ग़ायब हो गए थे. जापानी सरकार के पास दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं बचा. इसलिए इस कहानी को फ़ेक क़रार दे दिया गया.
पर जो लोग “Parallel Universes” यानी “समानांतर ब्रह्मांड” पर विश्वास करते हैं, वो इस कहानी पर भी विश्वास करते हैं और कहते हैं कि वो शख़्स जो ख़ुद को टॉरेड देश का कहता था, असल में वाक़ई में किसी समानांतर ब्रह्मांड का बाशिंदा था, जो ग़लती से यहां आ गया था.
पर हमें ज़्यादा सोचने की ज़रूरत नहीं… क्योंकि आज नहीं तो कल पैरेलल यूनिवर्सेस की हक़ीक़त पर से परदा उठ ही जाएगा.