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हम कई बार मरते हैं और फिर जीवित हो जाते हैं?

हम कई बार मरते हैं और फिर जीवित हो जाते हैं?

आपने सुना होगा कई बुज़ुर्गों और अन्य लोगों को, ये कहते हुए कि हम अपनी ज़िंदगी में कई बार मरते हैं और कई बार ज़िंदा हो जाते हैं…

क्या है इसके पीछे का तथ्य.

वो कहते हैं कि जब हमें छींक आती है तो हमारी आंखें बंद हो जाती हैं.

फिर एक पल के लिए हमारे दिल की धड़कन भी रुक जाती है.

तो मनुष्य के मरने की निशानी ये है कि उसके दिल की धड़कन रुक जाती है

और आंखें बंद हो जाती हैं.

मतलब ये कि जब हम छींकते हैं तो हम एक पल के लिए मर जाते हैं…

यानी हमारी आंखें बंद हो गईं

और दिल की धड़कन रुक गई…..

अब जब हम छींकते हैं और ज़िंदगी में कई बार छींकते हैं तो हम ज़िंदगी में कई बार मरते हैं और कई बार जीवित हो जाते हैं.

तो असली बात क्या है.

असली बात ये है कि केवल कुछ हद तक ये बात सही है कि छींकते वक्त हमारी आंखें बंद हो जाती है, लेकिन दिल की धड़कन नहीं रुकती. हाँ कभी कभी दिल की धड़कन में धीमापन आ जाता है, जो कि मेडिकल भाषा में vasovagal response या Vasovagal syncope के कारण होता है. तब मनुष्य बेहोश भी हो सकता है और इसकी परिस्थितियां अलग अलग भी हो सकती है. लेकिन दिल की धड़कन के कुछ क्षण के लिए धीमा होने का मतलब ये नहीं कि दिल ने अपना काम करना बंद कर दिया.

ये भी नोट करें कि ज़्यादातर लोगों का ये मानना है कि हम छींकते वक्त कभी भी अपनी आंखें खुली नहीं रख सकते. छींकते वक्त आंखों का बंद हो जाना अनिवार्य है.

ये पूरी तरह सच नहीं है. कई लोग आंखें खोल के भी छींक सकते हैं. अगर आप गूगल पर सर्च करेंगे तो आपको इस हक़ीक़त का पता चलेगा. छींकते समय आंखों का बंद होना ये प्रकृति का नियम है. छींकते समय हमारे मुंह और नाक से जो छींटें निकलती हैं, उनसे बचने के लिए हमारी आंखें स्वयं ही बंद हो जाती हैं. इसलिए छींकते वक्त जानबूझ कर आंखों को बंद करने की कोशिश न करें.

और ये बात भी अपने दिमाग़ से निकाल दें कि हम कई बार मरते हैं और कई बार जीते हैं.

सावधानी बरतें, स्वस्थ रहें !