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हिन्दी उर्दू शायरी
Hindi Urdu Shayeri

– आदतन तुमने कर दिए वादे गुलज़ार – आह जो दिल से निकाली जाएगी अकबर इलाहाबादी – आज फिर दिल ने इक तमन्ना की जावेद अख़्तर – आपको मेरे तआरुफ़ की ज़रूरत क्या है – मज़हर इमाम – आसमां इतनी बुलंदी पे जो वसीम बरेलवी – अब तो इतनी भी मयस्सर नहीं मैख़ाने में जितनी हम छोड़ दिया करते थे पैमाने में दिवाकर राही – अपने मन में डूप कर पा जा इक़बाल – अपनों के साये डराते हैं मुझे – बाग़बां ने आग दी, जिन पे तकिया था वही पत्ते हवा देने लगे साक़िब लखनवी – वो कभी मरेंगे नहीं – अफ़साना बना सकता हूं मैं मजाज़ – दिल में इक लहर सी उठी है अभी, कोई ताज़ा हवा चली है अभी नासिर काज़मी – दिल से निकली आह – न था कुछ थो ख़ुदा था, डुबोया मुझको होने ने ग़ालिब – दुख अपना अगर हमको बताना नहीं आता, तुमको भी तो अंदाज़ा लगाना नहीं आता वसीम बरेलवी – ग़म और ख़ुशी में फ़र्क़ न महसूस हो जहां साहिर – हयात ले के चलो कायनात ले के चलो मख़दूम – हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम, वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता अकबर इलाहाबादी – हम तो कुछ देर हंस भी लेते हैं बशीर बद्र – इससे पहले कि लोग पहचानें दिवाकर राही – जहां रहेगा वहीं रोशनी लुटाएगा, किसी चराग़ का अपना मकां नहीं होता वसीम बरेलवी – जिनकी औक़ात नहीं – जिसको हमने अपने आशियाने में, बिजली बन कर – किसी से कोई भी उम्मीद रखना छोड़ कर देखो वसीम बरेलवी – हंसता भी हूं तो आह सी निकलती है – कुछ इस अदा से आपने पूछा मेरा मिज़ाज, कहना पड़ा कि शुक्र है परवरदिगार का जलील मानिकपूरी – कुछ तुम्हारी निगाह काफ़िर थी, कुछ मुझे भी ख़राब होना था मजाज़ – न तू ज़मीं के लिए है न आसमां के लिए इक़बाल – न ज़मीं पे दिखता है तू न आसमान पे – पहले से मरासिम न सही, रंजिश ही सही अहमद फ़राज़ – पल भर में ज़िंदगी बिछड़ गई, बरसों से बसी दुनिया उजड़ गई – रफ़ीक़ों से रक़ीब अच्छे, गुलों से ख़ार बेहतर हैं जो दामन थाम लेते हैं – शर्तें लगाई जाती नहीं      दोस्ती के साथ वसीम बरेलवी – तू शाहीन है परवाज़ है काम तेरा इक़बाल – उनसे कह दो मुझे ख़ामोश ही रहने दें वसीम बरेलवी – उसी को जीने का हक़ है वसीम बरेलवी – वक़्त रहते तौबा कर ले, बन के शैतान – या रब न वो समझे हैं न समझेंगे मेरी बात ग़ालिब – यूं ही ज़िंदगी से नाराज़ नहीं हम – उसूलों पे जहां आंच आए टकराना ज़रूरी है, जो ज़िंदा हो तो फिर ज़िंदा नज़र आना ज़रूरी है वसीम बरेलवी हर एक बात पे कहते हो तुम के तू क्या है तुम्ही कहो के ये अंदाज़े गुफ़्तगू क्या है !!! ग़ालिब दुख, दर्द, ताने, बेइज़्ज़ती सहेंगे मेडल मिले न मिले हम अच्छे बन के रहेंगे जो था वो गुज़र या जो गुज़र गया वो है ! मोहब्बत ख़ुदा है इसीलिए आज बच्चा बच्चा इस ख़ुदा पर फ़िदा है. इक रात वो गया था जहां बात रोक के अब तक रुका हुआ हूं वहीं रात रोक के फ़रहत एहसास कुछ बुराइयां भी अच्छी होती हैः  कमाल स्वाती, नवाब एहसन, नवाब अहसन, इक़बाल साजिद, ग़ालिब,  अंजुम ख़याली, जोश मलीहाबादी, अतहर नासिक, शहरयार, नफ़स अंबालवी, अहमद नदीम क़ासमी, अहमद नदीम क़ासिमी

सीखे हैं महरुख़ों के लिए हम मुसव्विरी, तक़रीब कुछ तो बहरे मुलाक़ात चाहिए, ग़ालिब، इक ज़माना था कि सब एक जगह रहते थे, अहमद मुश्ताक, गुलशन की फक़त फूलों से नहीं कांटों से भी ज़ीनत होती है, जीने के लिए इस दुनिया में ग़म की भी ज़रूरत होती है, सबा अफ़ग़ानी, जिस जगह बैठे मेरा चर्चा किया, ख़ुद हुए रुसवा मुझे रुसवा किया, दाग़ देहलवी, ज़िंदगी तूने मुझे क़ब्र से कम दी है ज़मीं, पावं फैलाऊं तो दीवार में सर लगता है, बशीर बद्र

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