नेल्सन मंडेलाजिन्हें सारी दुनिया सम्मान की नज़रों से देखती है और इज़्जत से उनका नाम लेती है, दक्षिण अफ्रीका के प्रथम अश्वेत राष्ट्रपति थे, जिन्होंने रंग भेदभाव की लड़ाई में अपने जीवन के अमूल्य 27 साल जेल में क़ैद रह कर बिताए थे.
उन्हें भारत सरकार ने 1990 में भारत रत्न से सम्मानित किया था. उन्हें 1993 में नोबल शांति पुरस्कार से नवाज़ा गया था.
जब 5 दिसंबर 2013 को नेल्सन मंडेला की मृत्यु हुई, तो दस पंद्रह लोगों ने नहीं, बल्कि हज़ारों लोगों ने ये दावा किया कि नेलसन मंडेला की मृत्यु तो 1980 के दशक में ही हो गई थी, जब वो जेल में थे… और उन्होंने टीवी पर उनका अंतिम संस्कार भी देखा था.
तो अब 2013 में जिस व्यक्ति की मृत्यु हुई है वो कौन है…. ? हज़ारों लोग ये सवाल पूछ रहे थे.
उस वक़्त पहली बार हमें “मंडेला इफ़ेक्ट” का शब्द सुनाई दिया. और तब से जब भी कुछ लोगों को एक ही घटना के बारे में दो दो बातें याद आती हैं, तो उसे मंडेला इफ़ेक्ट कहा जाता है.
कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि हमारे जैसा ही यूनिवर्स (ब्रह्मांड) अंतरिक्ष में कहीं और भी है. और एक नहीं ऐसे हज़ारों यूनिवर्स हैं जो बिलकुल हमारी तरह ही हैं. इस परिकल्पना को Parallel Universes का नाम दिया गया है, यानी समानांतर ब्रह्मांड. ऐसे समानांतर ब्रह्मांड जो हमारी तरह हैं, वहां के लोग भी बिलकुल हमारी तरह हैं, चांद और सूरज भी हमारी तरह हैं, ये हमारे आसपास ही मौजूद हैं. हम यहां भी हैं और वहां भी हैं.
इसलिए जब किसी ग्लिच (glitch) के कारण यानी किसी तकनीकी गड़बड़ी के कारण वहां की यादें हम तक पहुंच जाती हैं तो हम कुछ क्षणों के लिए उस ब्रह्मांड में पहुंच जाते हैं और वहां के कुछ दृश्य हमें याद आ जाते हैं.
मगर कुछ वैज्ञानिक इसे कोरी कल्पना ही मानते हैं और उनका कहना है कि Parallel Universe जैसी कोई चीज़ नहीं है.
लेकिन उन यादों का या उन घटनाओं का क्या, जो हजारों लाखों लोगों ने महसूस किया है, उन्हें ऐसा क्यों लगता है कि वो किसी और दुनिया में भी रहते हैं और उस दुनिया की यादें बिजली की तरह कभी कभी उनके ज़हन में कौंध जाती है.
आपने भी कभी कुछ ऐसे दृश्य देखे होंगे कि अचानक ही आपको लगता है कि अरे, ये तो पहले भी मेरे साथ हो चुका है….
या कभी आप पहली बार किसी जगह जाते हैं, लेकिन आपको लगता है कि मैं तो यहां पहले भी आ चुका या आ चुकी हूं.
कभी सपने में भी आप ऐसी जगह पहुंच जाते हैं, जो बिलकुल अनजान जगह है, लेकिन फिर भी अनजान नहीं लगती और आपको लगता है कि ये तो मेरी ज़िंदगी का ही एक हिस्सा है. पर जब आप जागते हैं तो किसी और दुनिया में होते हैं और आप ये सोचने लगते हैं कि आख़िर में कहां था, वो जगह और वहां के लोग मेरे अपने से क्यों लग रहे थे.
इस प्रभाव को या इस इफ़ेक्ट को मंडेला इफ़ेक्ट कहा जाता है.
हो सकता है भविष्य में हम जान पाएं कि वाक़ई में समानांतर ब्रह्मांड या Parallel Universes मौजूद हैं, फिर तो वहां जाने से हमें कोई नहीं रोक सकता….