क्या कानखजूरा कान में घुस कर दिमाग़ तक पहुंच सकता है?
घर चाहे किसी ग़रीब का हो या चाहे किसी अंबानी का.
कानखजूरा (centipede) किसी में फ़र्क नहीं करता.
वो हर घर में बिन बुलाया मेहमान बन कर घुस जाता है.
वो कभी बाथरूम में नज़र आता है तो कभी किचन में.
और मिडिल क्लास वालों के घर में तो उसके बाप का राज चलता है.
वो घर वालों के बिस्तर तक में पहुंच जाता है.
जहां औरतें बच्चे उसकी एक झलक पा कर डर जाते हैं…
वहीं सिक्स पैक वाले माचो मैन भी उसे देख कर थर्रा जाते हैं.
अब सवाल ये है कि इसका नाम कान खजूरा क्यों है?
क्या ये इंसानों के कान में घुसना पसंद करता है?
क्या इसकी आख़िरी मंज़िल इंसानों का कान है?
अगर ये कान में घुस जाए, तो क्या कान के रास्ते दिमाग़ तक भी पहुंच सकता है?
और अगर ये दिमाग़ जैसी नाज़ुक जगह पर पहुंच जाए… तो क्या होगा?
ये सोच कर ही दिल दहल उठता है…
लेकिन घबराने की बिलकुल भी ज़रूरत नहीं.
कानखजूरा हमेशा गीली और अंधेरी जगहों पर रहना पसंद करता है. वो कभी भी इंसानों के क़रीब आने की कोशिश नहीं करता. अगर इत्तेफ़ाक से वो इंसान के क़रीब पहुंच भी जाए तो फ़ौरन भागने की कोशिश करता है. रात को सोते समय भी वो इंसानों से दूर रहना पसंद करता है.
लेकिन अगर हमारी क़िस्मत कुछ ज़्यादा ही ख़राब है और कानखजूरा कान में घुस जाए, तो डॉक्टर ये कहते हैं कि वो कान के द्वारा दिमाग़ तक कभी भी नहीं पहुंच सकता.
कान के तीन भाग होते हैं. बाहरी कान, बीच का कान और अंदरूनी कान. कान के बीच वाले भाग में कान का परदा यानी ear drum जिसे tympanic membrane भी कहते हैं, होता है.
ये परदा न केवल आवाज़ सुनने में मदद करता है, बल्कि ये कान के अंदरूनी भाग के लिए एक दीवार का काम भी करता है. इसीलिए अगर कानखजूरा कान में घुस भी जाए, तो वो इस परदे से आगे नहीं जा सकता, इसलिए दिमाग़ तक पहुंचने का सवाल ही नहीं उठता. साथ ही कान के मध्य भाग में इयरवैक्स, यानी मोम जैसा पदार्थ होता है, जिसे आम भाषा में हम कान का मैल कहते हैं. यहीं पर छोटे छोटे बाल भी होते हैं. इसी वैक्स और बाल की वजह से कानखजूरा या कोई भी कीड़ा कान के बिलकुल अंदर जाने की हिम्मत नहीं कर पाता.
कानखजूरा कान की नाली में ही कहीं रुक जाएगा और तकलीफ़ पहुंचाएगा. इससे आपके कान में दर्द हो सकता है, या तेज़ खुजली हो सकती है. और आपको ऐसा लगेगा कि कोई चीज़ कान में रेंग रही है.
ऐसी सूरत में बहुत ही सावधानी बरतने की ज़रूरत है. कभी भी ख़ुद से कानखजूरे को निकालने की कोशिश न करें. न ही Cotton Swab यानी रूई के फाहे से, न ही कान साफ़ करने के उपकरण से. ये आपका काम नहीं है.
कुछ लोग कान में तेल, सेंधा नमक वाला पानी डालने की भी सलाह देते हैं. हो सकता है ये सब करने से कानखजूरा तिलमिला जाए और ज़्यादा अंदर घुसने की कोशिश करे. नसीब अच्छा है तो कानखजूरा बाहर निकल जाएगा, लेकिन बेहतर यही है कि आप फ़ौरन किसी ईएनटी (ENT) डॉक्टर या अपने फ़ैमिली डॉक्टर से मिलें और उससे मदद लें. डॉक्टर एक्सपर्ट होते हैं और वो फ़ौरन आपको इस मुसीबत से छुटकारा दिला सकते हैं.
तो अब ये सोच कर घबराने की ज़रूरत नहीं कि कहीं कानखजूरा कान के रास्ते दिमाग़ तक तो नहीं पहुंच जाएगा. न सिर्फ़ कानखजूरा, बल्कि कोई भी कीड़ा कान के रास्ते दिमाग़ तक नहीं पहुंच सकता.