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एक प्राणी ऐसा, जो न ज़िंदा है न मुर्दा.

एक प्राणी ऐसा, जो न ज़िंदा है न मुर्दा.

क्या आप जानते हैं कि इस दुनिया में एक ऐसा भी प्राणी है जिसे न ज़िंदा कहा जा सकता है, न मृत.

एक प्राणी ऐसा, जो न ज़िंदा है न मुर्दा. वायरस,

और आप सबका उसके साथ संपर्क भी है.

वो कभी न कभी आपसे मुलाक़ात ज़रूर करता है.

आज सब जानते हैं उसे.

वो है वायरस.

थ्री ईडियट वाला वायरस नहीं.

एक प्राणी ऐसा, जो न ज़िंदा है न मुर्दा.

सचमुच का वायरस.

वही वायरस जो बीमारियां फैलाता है.

वही वायरस जिसने कोरोना को जनम दिया.

एक प्राणी ऐसा, जो न ज़िंदा है न मुर्दा.
वायरस, कोरोना, लॉकडाउन

वही वायरस जो कैंसर जैसे ख़तरनाक रोग से ज़ुकाम जैसी मामूली बीमारी का कारण होते हैं.

वायरस कई प्रकार के होते हैं और सभी से बारे में साइंटिस्ट ये कहते हैं कि वायरस को न ज़िंदा कहा जा सकता है न मुर्दा.

और जब कोई शै न जीवित है न मृत… तो उसे कैसे मारा जा सकता है.

उसे कैसे ख़त्म किया जा सकता है.

तो वैज्ञानिक ये कहते हैं कि वायरस को मारा नहीं जा सकता. क्योंकि वो तो ज़िंदा है ही नहीं. और जब कोई चीज़ ज़िंदा ही नहीं है तो वो मरेगी कैसे.

जब हम किसी वायरस की वजह से बीमार होते हैं, तो डॉक्टर हमें कैसे अच्छा कर देते हैं?

तो इसकी वजह ये है कि डॉक्टर हमें जो दवाइयां देते हैं, उन दवाइयों के गुणों के कारण वायरस इनऐक्टिव हो जाते हैं, यानी असक्रिय हो जाते हैं. ये दवाइयां वायरस को विकसित करने और फैलने से रोकती हैं. वायरस को सक्रिय रहने के लिए किसी शरीर की यानी माध्यम (host) की ज़रूरत होती है और वो बिना माध्यम के ख़ुद से विकसित नहीं हो पाते.

हमारा इम्यून सिस्टम, ऐन्टीबॉडीज़ और हमारे ख़ून के सफ़ेद सेल हमें वायरस से लड़ने में मदद करते हैं और कुछ ऐन्टीवायरस दवाओं और टीकाकरण की वजह से हमारा इम्यून सिस्टम शक्तिशाली हो जाता है. इस तरह वायरस का संक्रमण रुकता है वो विकसित नहीं हो पाते और नष्ट हो जाते हैं और कुछ प्रकार के वायरस शरीर से निकल जाते हैं.

मगर कुछ ऐसे ज़िद्दी वायरस भी होते हैं, जिन्हें नष्ट करना बहुत मुश्किल होता है, वो असक्रिय होने के बाद भी शरीर में मौजूद रहते हैं और कभी न कभी फिर से सक्रिय हो जाते हैं.

आशा है भविष्य में हम वायरसों को पूरी तरह से समाप्त करने में कामयाब होंगे.

सावधान रहें, स्वस्थ रहें!